2025 का विषय
विश्व कल्याण: भारतीय संस्कृति
विश्व में बढ़ती हिंसा, अराजकता एवं बाजारवाद से मानवीय मूल्यों का अवमूल्यन हुआ है। पश्चिम की उपभोक्तावादी एवं अर्थ प्रधान दृष्टिकोंण ने मानव समुदाय को प्रकृति के रक्षक के स्थान पर उसका भक्षक बना दिया है। इस कारण स्वार्थ पर परमार्थ, पशुता पर मानवता जैसे दृष्टिकोंण को विश्वपटल पर प्रभावी बनाने के लिए वर्तमान में ''विश्व कल्याण: भारतीय संस्कृति'' का विमर्श आवश्यक है।